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लेखनी कहानी -17-Oct-2022श्राद्ध पक्ष भाग 1



                  शीर्षक : श्राद्ध पक्ष ( पितृ पक्ष )
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        आज घर में सुबह से ही चहल पहल थी सी लोग समय से जाग गये और नित्य क्रिया से निवृत होकर अपने अपने काम में ब्यस्त थे। सौनू की जब आँख खुली तो उसे पकविन बनने की खुशबू आई 

     सौनू अपनी आँख मलता हुआ अपनी मम्मी के पास पहुँचा और  पूछने लगा ," मम्मी आज ऐसा क्या है जो आप सब बहुत जल्दी उठकर पकवान बनारहे हो ?  मुझे भी बहुत तेज भूख लगी है मुझे कुछ खाने को दे दो। "

         तब उसकी माँ बोली " नहीं बेटा आज तुम्है इसमें से अभी कुछ भी खाने को नही मिलेगा क्यौकि आज दादाजी का श्रादाध है। पहले श्राद्ध होगा  फिर पन्डितजी खाना खायेगे उसके बाद घर के लोगौ को खाना मिलेगा।

      सोनू ने यह नाम पहली बार सुना थाआतः वह कोतहूल बस अपनी मम्मी से पूछने लगा," मम्मी यह श्राद्ध क्या होता है । यह दादाजी का ही क्यौ होरहा है दादी जी का क्यौ नही होरहा। ?"

      उसकी मम्मी उसे समझाते हुए बोली," यह श्राद्ध उनकाहोता है जो भगवान को प्यारे होजाते है दादी जी अभी जीवित है । ,"

      सौनू फिर बोला " मम्मी दादीजी कब मरेगी ?  "

     सौनू की इस तरह की बाते सुनकर पागल सी होगयी ःर वह उसे मारने दोड़ पडी़।

       तब तक उसकी दादी भी वहाँ आगयी। अब वह दादी से पूछने लगा। 
    
        "दादीजी यह श्राद्व  क्या होता है ?" उसने अपनी दादी से पूछा।

   सौनू की दादी उसे प्यार से समझाने लगी ,ँ देख बेटा तेरे दादाजी की आज के दिन मौत हुई  थी। इसलिए उनका श्राद्ध आज है। आज हमारे घर खीर पूडी़ और बहुतसे पकवान बने है। पहले पंडित जी दादाजी का दूध से तर्पण करवायेगे। उसके बाद सबसे पहले गाय को खाना खिलायेंगे। फिर कुत्तौ को खाना खिलाया जायेगा। उसके बाद कौआ को भी खाना खिलाया जायेगा। तब पंडितजी को खाना खिलाया जायेगा।  "

    "उसके बाद क्या होगा दादीजी?" सौनू पूछने लगा।

   उसकी दादी बोली," उसके बाद पन्डितजी को दक्षिणा व वस्त्र दिये जायेगे।तब घर के लोग खाना खायेगे। "

  " दादीजी श्राद्ध करने से क्या होता है ?" सौनू ने आगे पूछा।

     "सौनू बेटा  आज  हम जो खाना सभी को खिलाते है वह ऐसा मानते हैं कि वह खाना हमारे पूर्वजौ को खाने हेतु मिलजाता है। हम जिसके नाम का श्राद्ध करते है वह उसको खाने  के लिए मिलजाता है। इसी लिए हम  उनका श्राद्ध उसी दिन करते है जिसकी जिस दिन मृत्यु होती है।" उसकी दादी ने उसे समझाया।

     अब सौनू की समझ में कुछ कुछ आगया कि आज उसके घर में पकवान क्यौ बन रहे है आज उसके दादाजी को खाना खिलाया जायेगा। कुछ समय बाद एक पंडित जी ने आकर उसके पापा से तर्पण करवाया गया उसके बाद सबसे पहले गाय की पूजा की गयी और उसे भोजन कराया फिर कुत्तौ व कौआ को भी खिलाया गया फिर पंडित जी ने भोजन किया और उनको बस्त्र व दक्षिणा दीगयी।

        इसके बाद घर के सभी लोगौ ने भोजन किया। इस तरह  सौनू के घर श्राद्ध का आयोजन हुआ।  यह पूरे बर्ष मे क्वार महीने ( आश्वनि) के कृष्ण पक्ष में पूर्णमासी से अमावस्या तक सोलह दिन तक होता है।

           इस महीने  सोलह दिन को हम पितृपक्ष भी कहते है।


30 Days Festival/ ritual कम्पटीशन

नरेश शर्मा " पचौरी "

17/10/2022


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6 Comments

Palak chopra

18-Oct-2022 11:09 PM

Bahut hi sunder rachna 👍🌹

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Gunjan Kamal

18-Oct-2022 10:07 PM

बहुत ही सुन्दर

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Supriya Pathak

18-Oct-2022 09:09 PM

Achha likha hai 💐

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